महाराष्ट्र की उद्धव सरकार के कामकाज पर विपक्ष लगातार सवाल खड़े करता आ रहा है. विपक्ष का आरोप है कि महाविकास आघाडी सरकार जन विरोधी है. अब उद्धव सरकार सूबे के लाखों लोगों को बिजली का झटका दिया है. बिजली की महावितरण कंपनी ने 71 लाख 68 हजार 596 ग्राहकों को बिजली कनेक्शन कट करने का नोटिस भेज दिया है. कहा गया है कि अगर शनिवार (30 जनवरी) तक बिजली बिल नहीं भरा गया तो सोमवार (1 फरवरी) से बिजली कनेक्शन काटने शुरू कर दिए जाएंगे. बता दें कि करीब 60 हजार करोड़ रुपए का बिजली बिल बकाया है. इसकी वसूली के लिए ये कदम उठाया गया है.
बता दें कि महावितरण ने अपने नुकसान की भरपाई करने के लिए 15 दिसंबर से ही ग्राहकों को प्रत्यक्ष तौर से या एसएमएस के माध्यम से नोटिस भेजना शुरू कर दिया था. नोटिस में यह साफ कर दिया गया था कि अगर 15 दिनों के अंदर बिजली बिल नहीं भरा गया तो कनेक्शन काट दिया जाएगा. सबसे ज्यादा नोटिस पुणे विभाग के ग्राहकों को भेजे गए हैं. यहां 24 लाख 14 हजार 868 लोगों को एसएमएस के माध्यम से नोटिस भेजा गया है. सबसे कम नोटिस औरंगाबाद विभाग के ग्राहकों को भेजा गया है. यहां 9 लाख 97 हजार 397 नोटिस भेजे गए हैं. विदर्भ क्षेत्र में 16 लाख 79 हजार 984 ग्राहकों को नोटिस भेजा गया है.
बता दें कि महाराष्ट्र के उर्जा मंत्री नितिन राऊत ने कोरोना काल में उपभोक्ताओं को सहूलियत देने की बात कही थी. लोगों ने अनाप-शनाप बिजली बिल आने पर विरोध जताया था. भाजपा, मनसे पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने आंदोलन किया था. लेकिन कंपनी कार्रवाई करने पर अड़ी हुई है. कंपनी का भी अपना तर्क है. कंपनी का कहना है कि वो इतने बड़े बकाया बिजली बिल का आर्थिक बोझ नहीं उठा सकती. उसके पास अब रोजमर्रे के काम और कर्मचारियों के वेतन देने तक के लिए पैसे नहीं हैं.
वहीं, महाराष्ट्र बीजेपी नेता और प्रवक्ता अतुल भातखलकर से जब हमने बात की तो उन्होंने कहा कि ठाकरे सरकार विश्वासघाती है. कोविड से पहले उर्जा मंत्री नितिन राऊत ने ऐलान किया था कि 100 यूनिट तक बिजली बिल मुफ्त कर देंगे. वे वादा भूल गए. कोविड काल आया तो सभी राज्यों ने अलग-अलग सेक्टरों के लिए राहत पैकेज दिया. ठाकरे सरकार ने किसी सेक्टर के लिए कोई पैकेज नहीं दिया. सरकार ने कहा कोविड काल के बाद 300 यूनिट तक बिजली बिल माफ करेंगे. मीटिंग-सीटिंग चलती रही.