विराट कोहली 2008 में मोहम्मद कैफ के बाद अंडर -19 क्रिकेट विश्व कप में अपनी टीम को खिताब दिलाने वाले भारतीय कप्तान बने. ऐतिहासिक जीत के बाद टीम के कप्तान का प्रसिद्ध होना स्वाभाविक है, लेकिन कोहली का कैफ की तुलना में अधिक सुर्खियों में आने का एक कारण यह भी था कि उन्होंने कप्तानी से ज्यादा अपनी बल्लेबाज़ी से न कमाया.

वह करियर के शुरुआती दिनों में बेहद आक्रमक थे लेकिन समय के साथ-साथ उन्होंने खुद को बदला और जल्द क्रिकेट पंडितों के बीच वो चर्चा का केन्द्र बन गए. जिसके कारण उसी साल उनका वनडे डेब्यू हुआ. आज हम 5 ऐसे इंडियन खिलाड़ियों के बारे में जनेगे, जिन्होंने 2008 में डेब्यू किया लेकिन जल्द ही गुमनामी में खो गए.
5 यूसुफ पठान
इरफान पठान के बड़े भाई यूसुफ पठान ने उनकी तुलना में बहुत बाद में अपना डेब्यू किया, लेकिन जल्द ही वह निचले क्रम की बल्लेबाजी में एक पावर-हिटर , जो कुछ उपयोगी ऑफ-ब्रेक ओवर्स की क्षमता वाले ऑलराउंडर बनके उभरे. युसुफ पठान ने विश्व टी 20 के उद्घाटन संस्करण से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में दमदार एंट्री की थी और इस प्रतियोगिता में भारत ने जीत भी दर्ज की थी. फाइनल मैच में पठान ने बतौर ओपनर 1 छक्के और 1 चौके की मदद से 15 रन बनाए थे. इसके तुरन्त बाद उन्हें वनडे डेब्यू का मौका मिला.
लेकिन बड़ोदरा के हिटर बल्लेबाज अपने शुरुआती प्रदर्शनों को लगातर दुहराने में असफल रहे, जो टीम में नियमित जगह बनाने के लिए बेहद आवश्यक था, पठान ने अब तक केवल 57 एकदिवसीय मैच खेले हैं लेकिन सिर्फ 27 की मामूली औसत से बन बना पाए. यह कहना उचित होगा कि वो कभी भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खरे नही उतरे, और उनका अंतर्राष्ट्रीय करियर अब खत्म हो गया है.
4. मनोज तिवारी
बंगाल क्रिकेट में छोटे दादा के नाम से मशहूर 34 वर्षीय मनोज तिवारी, जिन्हें घरेलू स्तर पर उनके बेहतरीन प्रदर्शन के आधर पर भारतीय टीम में चुना गया. वह उन इंडियन खिलाड़ियों की सूची में शामिल है जिन्होंने 2008 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में किया था.
उन्होंने अपना डेब्यू सबसे ख़तरनाक प्रतिद्वन्दी ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ उनकी सरजमी पर किया. डेब्यू मैच में विफल होने के बाद उन्हें अगले मैच के लिए 3 वर्षो का इंतज़ार करना पड़ा.
2011 उनके कैरियर का सर्वश्रेष्ठ साल रहा. इस वर्ष उन्होंने 5 वनडे में भारत का प्रतिनिधित्व किया तथा इसी साल दिसंबर में उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने कैरियर के एकमात्र एकदिवसीय शतक ठोका था.
उन्होंने आखिरी बार जुलाई 2015 में जिम्बाब्वे में भारत का प्रतिनिधित्व किया. सीमित ओवर क्रिकेट में मध्यक्रम के लिए जो कठिन प्रतिस्पर्धा है उसे देखते हुए उनकी टीम में जल्द वापसी की संभावना मुश्किल हैं.
3. मनप्रीत गोनी
पंजाब के तेज गेंदबाज मनप्रीत गोनी के लिये 2007 काफी यादगार रहा. जिसके बाद 2008 में उन्होंने चेन्नई सुपर किंग्स के लिए अपना आईपीएल डेब्यू किया और रणजी टीम पंजाब के लिए प्रथम श्रेणी में डेब्यू किया. उनका फॉर्म सीएसके के लिए इतना प्रभावशाली था उन्हें अगले वर्ष एकदिवसीय टीम में शामिल कर लिया गया. उनका शरीर के नियमित तेज गेंदबाज की तरह था, उनकी प्रभावशाली काया और हिट द डेक करने की क्षमता ने शुरू से ही सबका ध्यान आकर्षित किया था. उन्होंने एशिया कप में हांगकांग के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की लेकिन तीन दिन बाद बांग्लादेश के खिलाफ अपना अंतिम एकदिवसीय मैच खेला.
आईपीएल में उनका दूसरा सीजन उनके पहले जैसा प्रभावशाली नहीं था,उनके प्रदर्शन में पिछले साल की कोई झलक देखने को नही मिली. एक तेज गेंदबाज़ के रूप में वह अभी भी प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पंजाब का प्रतिनिधित्व करते हैं और उन्होंने अब तक 196 प्रथम श्रेणी विकेट लिए हैं.
2 प्रज्ञान ओझा
मनोज तिवारी की ही तरह प्रज्ञान ओझा का कैरियर भी हमेशा उतार चढ़ाव भरा. रहा वह अपने पदार्पण के बाद से हमेशा भारतीय क्रिकेट टीम में और उसके आस-पास रहे हैं, हालांकि कभी भी टीम में वो एक स्थायी स्थान प्रप्त नही कर सके या टीम में लंबे समय तक नहीं रहे. वो एक बहुत ही प्रतिभाशाली बाएं हाथ के ऑर्थोडॉक्स गेंदबाज हैं, उन्होंने तीनों प्रारूपों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है.
प्रथम श्रेणी क्रिकेट में लगातार दो सीज़न और आईपीएल में डेक्कन चार्जर्स के लिए एक सफल डेब्यू सीजन होने के बाद, उन्होंने 2008 में बांग्लादेश दौरे और एशिया कप के लिए एकदिवसीय टीम में जगह बनाई. उन्होंने एक गेंदबाज के रूप में सबसे अधिक सफलता टेस्ट क्रिकेट में प्राप्त की, उन्होंने 2010 और 2013 के बीच तेज गति से 100 से अधिक विकेट हासिल किए.
1 सुब्रमण्यम बद्रीनाथ
सुब्रमण्यम बद्रीनाथ के करियर की बात करे तो भारतीय क्रिकेट प्रशंसक संभवतः काफी निराश हो जाते हैं. एक बेहद प्रतिभाशाली क्रिकेटर, जो सही समय पर सही जगह पर कभी नहीं था. उन्होंने क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में भारत का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन उन्होंने कुल 200 के करीब रन बनाए. उन्हें उनकी प्रतिभा के अनुसार ज्यादा मौके नही दिए. उन्होंने अपने पहले टी20 में मैन ऑफ द मैच जीता था लेकिन दोबारा उन्हें कभी मौका नही मिल पाया.