आयुर्वेद के अनुसार छींक आना एक प्राकृतिक क्रिया होता है और ऐसा कहा जाता है कि इसका आना स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। आयुर्वेद विज्ञान के अनुसार जब कोई संक्रामक चीज शरीर में प्रवेश कर जाती है तो हमारा शरीर उसे बाहर निकालने के लिए प्रतिक्रिया करती है जो एक छींक के रूप में हमारे शरीर से बाहर निकलता है।
देखा जाए तो छींक (Sneezing) बहुत ही तेज गति से आती है जो हमारे शरीर के लिए एक सुरक्षा का प्रक्रिया होता है। वैसे बदले मौसम और बढ़ते प्रदुषण के कारण बहुत सारे कीटाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। जिसकी वजह से जिसकी वजह से बुखार, खांसी और लगातार छींक आने की समस्या हो जाती है। सर्दीं में छींक आने की समस्यां होना आम बात है। बहुत से लोग छींक को रोकने (Sneezing) की कोशिश करते हैं जो खतरनाक होता है।
छींक (Sneezing) रोकना क्यों खतरनाक हो सकता है?
अब हमे यह जानना है कि छींक रोकना क्यों खतरनाक हो सकता है या ऐसा करने से क्या नुकसान हो सकता है? विज्ञान के अनुसार जब हम छींकते हैं तो उस समय शरीर के अंदर से निकलने वाली हवा की रफ्तार लगभग 160 किमी/घंटा होता है या इससे भी ज्यादा। अब आप सोचिये की इतनी तेज रफ्तार को आप रोककर कितनी बड़ी गलती करते हैं। वैसे तो सर्दी खांसी होना बहुत ही आम बात है। मौसम बदला नहीं की नाक बहने लगती है।
फिर छींकते छींकते जान आफत में आ जाती है। लगभग सबके साथ यही होता है। कई बार जब आम लोगों के पास होते हैं तो नाक दबाकर, मुहं दबाकर छींकते हैं और उसको रोकने की कोशिश करते हैं। आगर आपको भी ऐसा करने की आदत है तो हम आपको बताना चाहते हैं कि इसे छोड़ दीजिए। कुछ सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि एक 35 साल के युवक ने अपने छींक (Sneezing) को रोकने की कोशिश की। उसे छींक आ रही थी और उसने उसे रोकने के लिए अपनी नाक पकड़ी तथा मुहं बंद किया और छींक को रोक लिया।
जिसकी वजह से छींक को बाहर निकले के लिए जगह नहीं मिली। इससे उसके गले के पीछे जोर पड़ा और वहां पर छेद हो गया। छींक के फोर्स के कारण गले के नाजुक मांस पेशियों में छेद हो गाया। जाहिर है इससे उसे बहुत दर्द हुआ होगा। इससे वह न कुछ बोल पा रहा था और न कुछ निगल पा रहा था। फिर उसे असपताल ले गयें।
वहां करीब एक हफ्ते तक उसका इलाज चला। डाक्टर ट्यूब की सहायता से उसको खाने का लिकिविड दे रहे थें। क्योंकि वह कुछ भी निगल नहीं पा रहा था। जब डॉक्टरों ने उसका जांच किया तो पता चला कि यह उसके छींक रोकने के कारण से ऐसा हुआ है। डॉक्टरों के अनुसार छींक (Sneezing) के दौरान हमारे श्वास नली में हवा का बहुत तेज दबाव होता है। फिर जब कोई नांक और मुहं बंद करके छींकता है तो एकाएक प्रेशर और अधिक बड़ जाता है।
शरीर की इस हिस्से में मांसपेशियां वन वे टाईप की होती है क्योंकि इनका काम हमारे खाये पिये को निगलना होता है। ऐसे में जब हवा का दबाव बढ़ता है और उसे जगह नहीं मिलती तो यहां के मांसपेशियों में छेंद होने का खतरा बन जाता है, तो नांक के छेद और मुहं को बंद करके छींक रोकने की कोशिश न करें। इससे बहुत ही गंभीर दिक्ते हो सकती है। जैसा कि हमने आपको बता दिया फेफड़ों की आसपास की जगह में हवा फंस सकती है और यहां तक कि दिमाग में खून ले जाने वाली नसे भी फट सकती है।