बांदा। उत्तर प्रदेश पुलिस पंजाब की रोपड़ जेल से बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को आखिरकार 900 किमी का सफर तय करके बुधवार 7 मार्च की तड़के करीब साढ़े 4 बजे बांदा जेल पहुंच गई। कभी यहां मुख्तार का इतना जलजला था कि बैरक के अन्दर उसकी दरबार लगती थी आज वहीं डॉन बेकरार है। मुख्तार अंसारी पर यूपी पहुंचते ही शिकंजा कसना शुरू हो गया है।
MP-MLA विशेष अदालत ने 21 साल पुराने एक मामले में मुख्तार अंसारी को तलब कर लिया है। मामले में 12 अप्रैल की तारीख तय करते हुए मुख्तार अंसारी समेत सभी आरोपियों को तलब किया गया है। एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने पहले भी तलब होने का आदेश दिया था, लेकिन मुख्तार अंसारी पेश नहीं हुआ था। आपको बता दें कि 21 साल पहले मुख्तार अंसारी व उसके गुर्गे आलम, यूसुफ चिश्ती, लालजी यादव और कल्लू पंडित पर लखनऊ जेल के कारापाल और उप कारापाल से गाली-गलौज व जानमाल की धमकी देने व पथराव कर हमला करने का आरोप है।
गौरतलब है कि तीन अप्रैल 2000 को लखनऊ के कारापाल ने थाना आलमबाग में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप था कि कुछ बंदियों को अदालत में सुनवाई के बाद वापस जेल लाया गया था। उस दौरान मुख्तार अंसारी के गुर्गों ने एक बंदी के साथ मारपीट की थी। बंदी को बचाने की कोशिश की तो उन्होंने जेल अधिकारियों से मारपीट की थी। जिसके बाद लखनऊ जेल के कारापाल और उप कारापाल से गाली-गलौज व जानमाल की धमकी देने, पथराव कर हमला करने के मामले में केस दर्ज कराया था। अब मुख्तार अंसारी को कोर्ट में पेश किया जाएगा। जहां 12 अप्रैल को आरोप तय किए जा सकते हैं।
ददुआ से बलखड़िया तक रहे हैं इस जेल में
करीब 15 माह बाद दूसरी बार बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को बांदा जेल लाने के लिए सैकड़ों पुलिसकर्मी पंजाब भेजे गए थे। बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की आमद के मद्देनजर सुरक्षा के इंतजाम लगातार बढ़ाए गए। बांदा जेल में बड़े-बड़े माफिया डॉन चंबल के डकैत सजा काट चुके हैं और उनके गैंग के तमाम खतरनाक अपराधी अभी जेल में बंद हैं। बांदा जेल में डकैत ददुआ, 7 लाख के इनामी बलखड़िया, गौरी यादव, संग्राम सिंह जैसे डकैतों की गैंग के कई सदस्य बंद हैं। राजा भैया व अतीक अहमद भी बांदा जेल में कैद रह चुके हैं।
कभी बैरक-15 में लगता था मुख्तार का दरबार
मुख्तार को बांदा जेल की बैरक नंबर 15 में रखा जाएगा, 15 महीने पहले वह इसी बैरक से गया था। जेल के एक सूत्र ने नाम ना छापने की शर्त पर मीडिया को बताया कि वह यहां लगभग 7-8 साल से तैनात है। बड़े-बड़े मठाधीशों को यहां देख चुका है। मुख्तार का रूतबा अलग था। उसका यहां दरबार लगता था, जिस बैरक में है। लेकिन इस बार बैरक और परिसर पर रात-दिन नजर रखी जा रही है। सीसीटीवी कैमरों के सामने आने वाले पेड़ों को भी छंटवाया गया है। उसने बताया कि दिल्ली से आए इंजीनियरों ने सीसीटीवी कैमरों व जैमर को चेक किया। उनकी कमियां दुरुस्त कीं।