चीन के साम्राज्यवादी प्रवृत्ति से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है, और उसकी नजर भारत तिब्बत बॉर्डर से लेके दक्षिण पूर्वी एशिया, मध्य एशिया और यहाँ तक कि Far East, यानि रूस के आर्कटिक क्षेत्र पर भी है। लेकिन उसकी साम्राज्यवादी नीतियों को एक करारा झटका लगा, जब एक रूस समर्थक राजनीतिज्ञ को किर्गिस्तान का राष्ट्राध्यक्ष चुना गया, यानि किर्गिस्तान का राष्ट्रपति।
रूस समर्थक और चीन विरोधी नेता सादिर जापारोव का किर्गिस्तान के राष्ट्रपति पर चुना जाना लगभग तय है। किरगिस्तान के केन्द्रीय चुनाव कमीशन के अनुसार जापारोव को लगभग 80 प्रतिशत लोकप्रिय वोट मिले है। वे रूस के बहुत करीब हैं और उनका सत्ता में आने का अर्थ है कि चीन द्वारा किरगिस्तान पर वर्चस्व जमाने के मंसूबों पर जबरदस्त पानी फिर जाएगा ।