योगी आदित्यनाथ एक्शन मोड़ में हैं. ताबड़तोड़ उन्होंने ऐसे फैसले लिए जिससे विपक्ष की बोलती बंद हो गई. फिर चाहे उसमे कथित तौर लव जिहाद पर कानून हो. या फिर बाहुबलियों, अपराधियों की अवैध सम्पत्ति पर बुलडोजर चलाना, ये ऐसे काम थे जिससे योगी की वाह वाही आम जनता के बीच में होने लगी. ऐसे में सपा बसपा और अन्य पार्टियां समझ ही नहीं पा रही थी कि करना क्या है. और अब योगी ने सपा का एक और फैसला पलट दिया है. जी हाँ सूबे में पंचायत चुनाव होने हैं और उससे पहले योगी कैबिनेट ने जो फैसला लिया है उससे विपक्षियों के पेट में मरोड़ पैदा हो सकती है.
जी हाँ यूपी में इस बार होने जा रहे पंचायत चुनाव में सीटों के आरक्षण को तय करने के लिए प्रदेश की भाजपा सरकार ने 2015 के पंचायत चुनाव में तत्कालीन सपा सरकार के फैसले को पलट दिया है.इस बारे में मंगलवार को पंचायतीराज विभाग की ओर से लाये गये प्रस्ताव को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दी गई.
नियमावली के यह प्रावधान अभी तक लागू थे, जिनकी वजह से इन चार जिलों में फिर से आरक्षण शून्य कर नया आरक्षण करना पड़ता और बाकी के 71 जिलों में 2015 के चुनाव में हुए चक्रानुक्रम आरक्षण के अगले क्रम का आरक्षण होता.इस तरह से अगर यह प्रावधान लागू रहते तो इस बार के पंचायत चुनाव में दो तरह के आरक्षण लागू होते, जिससे अराजकता की स्थिति पैदा होती.इसीलिए इन सभी प्रावधानों को नियमावली से हटाने का फैसला मंगलवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिये किया गया. अब आरक्षण का जो नया फार्मूला लागू होगा वह सभी 75 जिलों में एक समान होगा. इस फैसले के बाद सपा बसपा और दूसरी पार्टियों में हड़कम मच गया है क्यों की अभी तक ये सोचते थे की सिर्फ योगी जी गुंडों के पीछे पड़े है लेकिन अब इंक ही पुराने फेंसलो को योगी सरकार बदल रही है तो बिलबिला उठे है इन्हे समज नहीं आ रहा है ये अब करे तो क्या करे।