लखनऊ. राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के बड़े शहरों के विकास के लिए तैयार किए गए मास्टर प्लान (Master Plan of Cities) में बदलाव किया जाएगा। नए सिरे से शहरों के तमाम क्षेत्रों में भू उपयोग निर्धारित होगा। प्रमुख सचिव आवास ने इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है जिसमें कई विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है। कमेटी तीन माह में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। इसी के बाद मास्टर प्लान में परिवर्तन को लेकर कार्ययोजना आगे बढ़ाई जाएगी। इसमें लखनऊ का 2031 तक का मास्टर प्लान भी शामिल है। कुछ शहरों में नया मास्टर प्लान लागू होगा तो कुछ में संशोधन किया जाएगा। जहां नया मास्टर प्लान उपयोग में लाया जाएगा वहां शहरों में मौजूदा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भू उपयोग निर्धारित किया जाएगा। नदियों, हवाई अड्डा, बस स्टैंड, सैन्य क्षेत्रों सहित तमाम चीजों को मास्टर प्लान में प्रदर्शित किया जाएगा। प्लान जीआईएस बेस्ड भी होगा।
विकास योजनाओं को बढ़ावा देते हुए मास्टर प्लान में जरूरत के हिसाब से नई चीजों को जोड़ने के लिए प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। शासन ने नए प्रस्तावित महा योजनाओं में क्षेत्रीय विकास की योजनाओं को भी शामिल करने का निर्देश दिया है, ताकि संबंधित शहरों के लिए आने वाले दिनों में किसी तरह की दिक्कत न हो। शहरों में सेना की फायरिंग रेंज को डेंजर जोन के रूप में घोषित किया जाएगा। मास्टर प्लान में वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, रिजर्व फॉरेस्ट,पर्यावरण एवं वन व अन्य संरक्षित क्षेत्रों पर विशेष ध्यान रखा जाएगा। इसके अलावा नए औद्योगिक क्षेत्र, बस अड्डे, मास्टर प्लान रोड और वाटर वर्क्स व एसटीपी, कूड़ा निस्तारण केंद्र सहित अन्य तमाम चीजें भी चिन्हित होंगी। मास्टर प्लान में पुरातत्व विभाग की ओर से संरक्षित की गई इमारतों, इसके निर्धारित 200 मीटर के दायरे में निर्माण पर रोक जैसी चीजें भी शामिल की जाएंगी।
इन पर होगा नए सिरे से काम
बुनियादी सुविधाओं के लिए नए सिरे से लैंड यूज निर्धारित होगा। क्षेत्रीय विकास की संरचना में हाईटेक टाउनशिप नीति, इंटीग्रेटेड टाउनशिप, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, नई पर्यटन नीति, फिल्म नीति, सूचना प्रौद्योगिकी नीति, आपदा प्रबंधन नीति आदि को परीक्षण कर शामिल किया जाएगा। इसी तरह सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, परिवहन प्रणाली, ड्रेनेज, ट्रीटमेंट प्लांट का भी परीक्षण होगा।