भारत रूस से शक्तिशाली एस 400 ट्रायंफ मिसाइल सिस्टम खरीदने जा रहा है. इस सौदे को लेकर अमेरिका नें ऐतराज जताया है. अमेरिकी संसद की ओर से भारत को चेतावनी दी गई है. अमेरिकी कांग्रेस से जुड़ी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस निर्मित एस-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए अरबों डॉलर के भारत के सौदे को लेकर अमेरिका उस पर पाबंदियां लगा सकता है. भारत ने इस रिपोर्ट को दरकिनार कर दिया है.
भारत के विदेश मंत्रालय की ओर साफ कहा गया है कि भारत की हमेशा स्वतंत्र विदेश नीति रही है जो इसकी रक्षा खरीद और आपूर्ति पर भी लागू होती है. इस पर किसी की भी दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
बता दें कि भारत ने अक्टूबर, 2018 में रूस से पांच एस-400 मोबाइल स्क्वाड्रन खरीदने के लिए 5.43 अरब डॉलर का सौदा किया था. भारत ने इस मिसाइल प्रणाली के लिए रूस को 2019 में 80 करोड डॉलर की पहली किश्त का भुगतान किया था. वहीं ये मिसाइल सिस्टम अप्रैल 2023 तक भारत आने की संभावना है.
करीब 100 अफसरों की एक बड़ी टीम जनवरी के आखिरी हफ्ते में रूस जाएगी. ये अफसर वहां एस 400 को चलाने और उसके रखरखाव को लेकर पूर्ण प्रशिक्षण लेंगे. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने जानकारी दी है कि सितंबर-अक्टूबर में इसकी डिलीवरी शुरू होगी. एस-400 की पहली स्क्वाड्रन भारत में 2021 के अंत या 2022 की शुरुआत में काम करना शुरू कर देगी.
एस-400 की ये है खासियत
एस-400 रूस की सबसे उन्नत लंबी दूरी तक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल के रूप में जानी जाती है. पिछले महीने रूस ने कहा था कि अमेरिकी पाबंदियों की धमकी के बावजूद एस-400 मिसाइल प्रणाली की पहले खेप की आपूर्ति समेत वर्तमान रक्षा सौदों को आगे बढ़ाया जा रहा है. सितंबर-अक्टूबर में इसकी डिलीवरी शुरू होने से पहले भारतीय वायुसेना की बड़ी टीम इस महीने के अंत तक रूस का दौरा करेगी.
शक्तिशाली मिसाइल सिस्टम एस-400 करीब 380 किमी की रेंज में ड्रोन, लड़ाकू विमान, जासूसी विमान, मिसाइल और बमवर्षक विमानों को पहचान करके उन्हें मार गिराने में सक्षम है. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार चीन और पाकिस्तान के खतरे को देखते हुए इसे पश्चिमी, उत्तरी और पूर्वी सेक्टर में तैनात किया जाएगा.