कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता हासिल कर चुका भारत अब ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा चुका है। सरकार इसी आत्मनिर्भरता को हासिल करने के लिए अब खाना पकाने में बिजली के उपयोग पर जोर देने की योजना पर काम कर रही है। कोयला और सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली उत्पादन में वृद्धि की क्षमता के कारण, 2019 में भारत ऊर्जा के क्षेत्र में सरप्लस देश बन चुका है। आज देश की कुल स्थापित क्षमता 374 GW से अधिक है, जोकि डिमांड से कहीं अधिक है।
यही नहीं भारत हर साल 100 बिलियन डॉलर से अधिक पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के आयात पर खर्च करता है। पेट्रोलियम का इस्तेमाल परिवहन के लिए होता जबकि प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल खाना पकाने के लिए होता है। यदि भारत के लोग बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करना शुरू कर देते हैं और घरों में खाना पकाने के लिए रसोई गैस के बजाय बिजली का उपयोग करते हैं, तो हर साल अरबों डॉलर का विदेशी मुद्रा बचाया जा सकता है।
इसके अलावा, वाहनों और बिजली के लिए बिजली का उपयोग न केवल भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा बल्कि हर साल अरबों डॉलर बचाएगा। यही नहीं बिजली अन्य ईंधन की तुलना में पर्यावरण के अधिक अनुकूल भी है।