चीन भारत के पड़ोसी देशों को अपनी ओर मिलाने और दक्षिण एशिया क्षेत्र में वरीयता प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयासरत रहता है। वह इसके लिए डेब ट्रैप से लेकर छोटे देशों की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप तक, सभी हथकंडे अपनाता है तथा अधिकांश देश चीन की चालबाजियों को सहते भी हैं ।लेकिन जब बात कोरोना से बचाव की वैक्सीन की आयी है तो भारत के पड़ोसी देश किसी भी स्थिति में चीन पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं।
वैक्सीन के लिए दक्षिण एशियाई देशों को केवल भारत पर ही विश्वास है। भारत ने पहले भी मुसीबत के समय अपने पड़ोसियों की सहायता की है।फिर भले ही चीन में फंसे मालदीव के लोगों को सही सलामत, वहाँ से वापस लाना हो या इन देशों को HCQ दवाइयां उपलब्ध करवानी हो, भारत हर समय दक्षिण एशियाई मुल्कों के लिए एक बड़े भाई की भूमिका में रहा है । भारत ने महामारी की शुरुआत में ही सार्क इमरजेंसी फण्ड में 10 मिलियन डॉलर की आर्थिक मदद दी थी ।
इसके बाद भारत ने रैपिड रेस्पॉन्स टीम तथा आवश्यक मेडिकल सप्लाई की भी व्यवस्था की । यहाँ तक कि नेपाली प्रधानमंत्री द्वारा, सीमाविवाद पर भारत को उकसाने के अनवरत प्रयास के बाद भी, भारत ने covid से जुड़ी सभी आवश्यक मदद जारी रखी । यही सब कारण हैं कि वैक्सीन के लिए ये देश भारत पर ही भरोसा कर रहे हैं ।
यहाँ तक कि वैक्सीन के लिए नेपाल ने भी खुलकर भारत से मदद मांगी है । भारत द्वारा जैसे ही दो वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति दी गई, नेपाल की ओर से बधाई संदेश आ गया । सोमवार को नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली द्वारा फोन से बधाई दी गई । इसके बाद उन्होंने कहा कि ” हमने भारत को पहले ही कह दिया है कि जब वह दूसरे देशों को वैक्सीन दे तब इस सूची में नेपाल को प्राथमिकता दे ।”