देश के दिल, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी व खासकर अरविंद केजरीवाल से मुकाबला करने के लिए बीजेपी हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की मदद लेगी. गौरतलब है कि दिल्ली की करीब डेढ़ दर्जन विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां हरियाणा मूल के लोगों का बोलबाला है. दिल्ली चुनावों को सीधे तौर पर यह प्रभावित भी करते हैं. ऐसे में बीजेपी, हरियाणा के अपने सहयोगी दुष्यंत चौटाला को केजरीवाल के खिलाफ एक मजबूत हथियार के तौर पर इस्तेमाल करेगी. सूत्रों की मानें तो बीजेपी दिल्ली में जेजेपी के साथ गठबंधन कर कुछ सीटें भी उसे दे सकती है.
दिल्ली में 20 से 25 फीसद लोग ऐसे हैं जिनका सीधा हरियाणा कनेक्शन है. हरियाणा से हर रोज 8 से 10 लाख लोग दिल्ली में नौकरी के लिए आते हैं और वापस फरीदाबाद, गुरुग्राम, सोनीपत, पलवल, नूंह और पानीपत जिलों में लौटते हैं. इतना ही नहीं, हरियाणा और दिल्ली के लोगों की आपस में काफी रिश्तेदारियां भी हैं. बाहरी इलाके में आने वाली करीब डेढ़ दर्जन सीटों पर हरियाणा नेता और लोग सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं. इनमें बवाना, मुंडका, नजफगढ़, बिजवासन, पालम, छतरपुर, बदरपुर, नागलोई, मटियाला, बादली, नरेला, बुराड़ी, रिठाला, देवली, किराड़ी और उत्तमनगर सीटें हैं, जो रिंग रोड के बाहर इलाके में आती हैं. यहां पार्टियां सीधे तौर पर हरियाणा के लोगों की वजह से जीतती-हारती रही हैं.
बहरहाल, आप और कांग्रेस की भी काउंटर तैयारी है. कांग्रेस भी अपनी हरियाणा टीम को दिल्ली के रणभूमि में लगा सकती है. दिल्ली दरबार के बेहद करीब आने और खुद को साबित करने के लिए हरियाणा के कांग्रेसियों के लिए दिल्ली चुनाव एक बेहतर मौका है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सांसद रहते हुए अक्सर दिल्ली की ही राजनीति करते थे और उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा की सक्रियता भी दिल्ली में रही है. किरण चौधरी दिल्ली विधानसभा में उपाध्यक्ष रह चुकी हैं. रणदीप सिंह सुरजेवाला राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली में सक्रिय हैं तो कुलदीप बिश्नोई कभी दिल्ली तो कभी गुरुग्राम में रहते हैं. कांग्रेस इन्हें दिल्ली के बाहरी इलाके की सीटों पर लगाकर सियासी फायदा उठा सकती है. कांग्रेस की योजना उन विधायकों, पूर्व विधायकों और पूर्व मंत्रियों व पूर्व सांसदों की भी दिल्ली चुनाव में ड्यूटी लगाने की है, जो जातीय समीकरणों के आधार पर चुनाव का गणित बदलने-बिगाड़ने का माद्दा रखते हैं.
आम आदमी पार्टी के संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी आप के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष नवीन जयहिंद को बाहरी दिल्ली की सीटों के प्रचार का एजेंडा सौंपा है. अरविंद केजरीवाल दिल्ली में सत्ता की वापसी के लिए अपनी हरियाणा की टीम के सहयोग से बाहरी दिल्ली के मतदाताओं को साधने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे हैं. आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता इससे पहले ही दो बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के लिए माहौल तैयार करने में अहम भूमिका अदा कर चुके हैं. अन्ना हजारे के आंदोलन में भी हरियाणा के कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका रही है. इसीलिए अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा की अपनी प्रदेश ईकाई और वहां के प्रदेश अध्यक्ष नवीन जयहिंद को बाहरी दिल्ली दिल्ली के रणक्षेत्र में लगा दिया है.