दिल्ली की सामाओं में कुछ किसान संगठन धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि कृषि कानूनों को रद्द किया जाए. इस मामले में मोदी सरकार के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साजिश रचने का भी मामला सामने आया था. अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन को लेकर ट्विट किया था इसे लेकर भारत के अंदर भारी विरोध हुआ था, वहीं पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि नें इस ट्विट के साथ एक टूलकिट शेयर की थी. विरोध होने पर बाद में डिलिट कर दिया था. टूलकिट मामले में दिशा रवि की गिरफ्तारी हो चुकी है. इसके बाद अब दिल्ली पुलिस निकिता जैकब और शांतनु की तलाश कर रही है. निकिता और शांतनु के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया गया है. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि निकिता जैकब फरार चल रही हैं. बता दें कि टूलकिट में ट्विटर के जरिए किसी अभियान को ट्रेंड कराने से संबंधित दिशानिर्देश और सामग्री होती है.
दिल्ली पुलिस ने बताया कि चार दिन पहले स्पेशल सेल की टीम निकिता के घर गई थी, उसके इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की जांच की गई. उस वक्त शाम हो गई थी इसलिए निकिता से पूछताछ नहीं की गई. टीम ने कहा कि वो कल फिर आएंगे लेकिन जब अगले दिन स्पेशल सेल की टीम निकिता के यहां पहुंची वो गायब मिली. निकिता पेशे से वकील हैं.
पुलिस ने बताया कि गणतंत्र दिवस के पहले एक जूम मीटिंग हुई थी. इस मीटिंग में एमओ धालीवाल, निकिता और दिशा के अलावा अन्य लोग भी शामिल हुए थे. एमओ धालीवाल ने कहा था कि मुद्दे को बड़ा बनाना है. इनका मकसद ये था कि किसानों के बीच असंतोष और गलत जानकारी फैलाना है.
पुलिस ने बताया कि 26 जनवरी की हिंसा के बाद अंतरराष्ट्रीय सेलिब्रिटी और एक्टिविस्ट से संपर्क किया गया था. चूंकि दिशा रवि ग्रेटा को जानती थीं, इसलिए उसकी मदद ली गई. इससे पहले दिशा रवि को दिल्ली पुलिस की साइबर सेल की एक टीम ने शनिवार को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद उसे रविवार को 5 दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा गया.
बता दें कि 22 वर्षीय दिशा रवि एक जलवायु कार्यकर्ता हैं. वो बेंगलुरू की रहने वाली हैं. रवि बेंगलुरु के एक निजी कॉलेज से बीबीए की डिग्री धारक हैं और वह ‘फ्राइडे फॉर फ्यूचर इंडिया’ नामक संगठन की संस्थापक सदस्य भी हैं.
दिशा गुड वेगन मिल्क नाम की एक संस्था में काम करती हैं. इस संस्था का मुख्य उद्देश्य प्लांट बेस्ड फूड (वेजिटेरियन) को सस्ता और सुलभ बनाना है. ये लोग जानवरों पर आधारित कृषि को खत्म कर उन्हें भी जीने का अधिकार देना चाहते हैं