उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में अभी देरी है. लेकिन अभी से लोग चुनावी समीकरण बनाने में लग गये है. राज्य चुनाव आयोग ने भी चुनाव तैयारी तेज़ कर दी है. अनुमान है कि मार्च के अंत तक पंचायत चुनाव हो सकते है.
उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों में आरक्षण एक बड़ा मुद्दा रहता है. इसीलिए चुनाव की सुगबुगाहट के साथ ही आरक्षण की लिस्ट को लेकर चर्चाओं तेज़ हो गई है. इसके लिए लोग लखनऊ के चक्कर तक लगाने लगे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि आरक्षण के बाद ही चुनाव लड़ने या लड़ाने का जोड़-घटाव तय होगा. लेकिन आपको बता दें कि आरक्षण लिस्ट जारी होने में अभी समय लगेगा. लिस्ट के जारी होते–होते आधी फरवरी बीत जायेगी.
आमतौर पर उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव दिसम्बर हो जाते है. लेकिन पहले कोरोना की वजह से और फिर कुछ नये क्षेत्रों के शामिल होने के चलते इसमें विलम्ब हुआ है. चुनावों को लेकर अभी पंचायती राज निदेशालय परिसीमन के कार्य में वयस्थ है. नए क्षेत्रों के पुनर्गठन का काम तो हो गया है, लेकिन परिसीमन अभी चल रहा हैं. परिसीमन का कार्य जनवरी के अंत तक पूरा होने की सम्भावना हैं.
राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार ने बताया कि उनकी तरफ से तैयारी पूरी है. वोटर लिस्ट का काम जारी है. जैसे ही शासन से उन्हें परिसीमन के बाद क्षेत्रों की लिस्ट मिल जायेगी वैसे ही वोटर लिस्ट का प्रकाशन कर दिया जायेगा. वैसे 22 जनवरी को वोटर लिस्ट के प्रकाशन की डेट फिलहाल तय की गयी है. जहां तक आरक्षण सूची की बात है, ये सबसे आखिरी प्रक्रिया है. क्षेत्रों की सीमा तय हो जाने के बाद ही आरक्षण की प्रक्रिया पूरी की जायेगी. फरवरी तक शायद आरक्षण की लिस्ट तैयार कर ली जायेगी.
आपको बता दें कि नियम के हिसाब से हर चुनाव में आरक्षण नये सिरे से तय किया जाना होता है, लेकिन ऐसा हर बार हो नहीं पाता है. वर्षों से जो सीट रिजर्व है वो अभी भी रिजर्व चल रही है. सामान्य सीटों की भी यही स्थिति है. कुल सीटों में से महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी सीटें आरक्षित होनी चाहिए.
बता दें कि त्रिस्तरीय पंचायती व्यवस्था के तहत यूपी में जिला पंचायत की 75, क्षेत्र पंचायत की 821 और ग्राम पंचायत की 59074 सीटें हैं. जिला पंचायत की सीटों को छोड़ दें तो परिसीमन और पुनर्गठन के बाद बाकी की संख्या में बदलाव आ सकता है.