उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव को लेकर चर्चा तेज है. खबर आई है कि मार्च के आखिरी हफ्ते में आचार संहिता लागू की जा सकती है. राज्य निर्वाचन आयोग इस दौरान चुनाव की घोषणा कर सकता है. पंचायती राज विभाग के सूत्रों का कहना है कि 26 मार्च को चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है. हालांकि इसमें एक दो दिन इधर-उधर हो सकता है. आचार संहिता के लागू होने के साथ ही नये विकास कार्यों की घोषणा पर रोक लग जायेगी. नगरीय क्षेत्रों को छोड़कर प्रदेश के बाकी सभी इलाके में ये प्रभावी हो जाएगी.
ऐसे इलाकों के लिए कोई नई घोषणा नहीं की जा सकेगी. साथ ही सरकारी सुविधा का लाभ भी ऐसे इलाकों में मंत्रियों को नहीं मिल पायेगा. सरकार की जगह अफसरों पर राज्य निर्वाचन आयोग का नियंत्रण हो जाएगा. अफसरों के तबादले से पहले सरकार को राज्य निर्वाचन आयोग से परमिशन लेनी होगी.
पंचायत चुनाव कराये जाने की हाईकोर्ट की डेडलाइन को देखकर इसे आसानी से समझा भी जा सकता है. हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल तक चुनाव कराने के निर्देश दिये हैं. ऐसे में न तो सरकार के पास और ना ही राज्य निर्वाचन आयोग के पास ही बिल्कुल भी समय है.
बता दें कि चुनाव कराने में 40 से 45 दिन का समय लग जाता है. ऐसे में 30 अप्रैल से पहले चुनाव खत्म कराने हैं तो मार्च के आखिरी हफ्ते में इसकी घोषणा करनी ही पड़ेगी. हाईकोर्ट के दिए इसी डेडलाइन की वजह से पंचायत चुनाव कराये जाने को लेकर सरकारी तैयारी तेजी से चल रही है. सरकार के स्तर पर बस आरक्षण का काम बाकी है. इसके लिए शासनादेश जारी कर दिया गया है. पदों का आवंटन भी पंचायती राज विभाग ने कर दिया है. यानी विभाग ने ये बता दिया है कि किस कैटेगरी की कितनी सीटें आरक्षित होंगी और कितनी सामान्य. अब से एक महीने बाद यानी आरक्षण की सूची जारी हो जायेगी. शासनादेश में सरकार ने 15 मार्च तक सभी जिलाधिकारियों को आरक्षण की सूचना भेजने के निर्देश दिये हैं.