विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Day) के मौके पर यह जानना दिलचस्प है कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह हिंदी नहीं पढ़ पाते हैं। उन्होंने जितने भी भाषण हिंदी में दिए वह उर्दू में लिखे गए थे, जिससे वह उसे पढ़ सकें। मनमोहन सिंह हिंदी बोल ज़रूर लेते थे, लेकिन पढ़ना नहीं सीख पाए।
मनमोहन सिंह को यदि हिन्दी में भाषण देना होता था तो उन्हें तैयारी करने में समय लगता था। इस बारे में रिपोर्ट्स भी मौजूद हैं कि उन्होंने हिंदी में दिए गए अपने पहले भाषण की तैयारी करने में पूरे 3 दिन लगाए थे।
ऐसे तमाम वीडियो जिनमें वह हिंदी बोल रहे हैं, इस बात पर गौर किया जा सकता है कि उनका भाषण उर्दू में लिखा गया था, जिससे वह आसानी से पढ़ पाएँ।
ऊपर मौजूद वीडियो के 17 मिनट 18 सेकेंड बीत जाने पर देखा जा सकता है कि उनका भाषण उर्दू में लिखा हुआ है।
इसका मतलब डॉ. मनमोहन सिंह की उर्दू भाषा पर अच्छी पकड़ थी इसलिए उनके हिंदी के भाषण उर्दू में लिखे होते थे।
अविभाजित भारत में पैदा हुए थे पूर्व प्रधानमंत्री
1936 में पैदा हुए डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म पंजाब प्रांत के गाह में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है। बहुत कम उम्र में उनकी माता जी की मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद उनकी दादी ने उनका पालन-पोषण किया। 12 साल की उम्र तक वह ऐसे गाँव में रहते थे जहाँ बिजली नहीं थी। इस बीच वह लैम्प की रोशनी में पढ़ते थे। 14 साल की उम्र में विभाजन के बाद वह भारत आ गए और अमृतसर में रहने लगे।
बतौर प्रधानमंत्री उनके कार्यकाल के दौरान ऐसी रिपोर्ट्स आई थीं कि पाकिस्तान सरकार गाह को भारत के साथ कूटनीति के हिस्से के तौर पर उपयोग कर रही थी। मनमोहन सिंह की इच्छा थी कि वह अपने जन्मस्थान पर जाएँ, लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के हालातों की वजह से ऐसा ही नहीं हो पाया था।
खबर साभार opindia